आज का विचार : - व्यक्ति सुंदर नहीं होता, उसका जीवन सुंदर होता है। -श्रीश्री
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Sunday, September 6, 2009

आर्ट ऑफ लिविंग ने दी जीवन को नई परिभाषा

सुखी जीवन जीने के लिए अधिकाधिक साधन जुटाने की भागदौड़ में हम तनाव को भी अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं। लेकिन जीवन की वास्तविक खुशी किस चीज से हमें मिल सकती है यह परिचय आर्ट आफ लिविंग कोर्स में 6 दिन बीताने के बाद हुआ है। इस कोर्स ने जीवन को एक नये रूप में परिभाषित करते हुए नयी सोच, उमंग एवं उत्साह से जीवन जीने की कला सिखाई है।
आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स के मेगा बेसिक कोर्स के रविवार 6 सितम्बर को समापन अवसर पर प्रतिभागियों ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि पूज्य श्रीश्री रविशंकर जी द्वारा दिये गये ज्ञान के साथ जीवन से जु़ड़ी प्रक्रियाओं को करने के बाद अनुभव हुआ कि जीवन का एक दूसरा रूप भी है, जिसमें हम अपनी जिम्मेदारियो को पूरा करते हुए भी मस्त एवं तनावपूर्ण जीवन जी सकते हैं। इस कोर्स में आने के बाद पता चला कि अध्यात्म एकांत जीवन जीने का नाम नहीं है। बल्कि अध्यात्म हमें समाज से तोड़ने के बजाय समाज से जोड़ता है।
कोर्स में प्रशिक्षण देने के लिए बैंगलोर से पधारी प्रशिक्षिका सुश्री शोभा बागरेचा ने प्रशिक्षार्थियों को योग, प्रणायाम, सुदर्शन क्रिया एवं सत्संग को जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने सुदर्शन क्रिया पर हुए अनुसंधानों तथा इसके महत्व को विस्तार से बताया।
प्रवक्ता रवि अदलखा ने बताया कि अगला बेसिक कोर्स 6 अक्टूबर को होगा। जल्द ही निकटवर्ती कस्बों में कोर्स आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है।

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क्या है जीवन जीने की कला ?
ईश्वर ने हमें जो अमूल्य जीवन दिया है उसे यदि हम कमरे में अव्यवस्थित पड़े सामान की तरह जीते हैं तो हमारा जीवन दूसरों को अच्छा लगता है स्वयं हमें। इसी जीवन को कला के साथ जीयें तो जीवन को एक सुन्दर सजे कमरे की तरह व्यवस्थित कर सकते हैं।
यही है...
जीवन जीने की कला... (The Art of Living)

कोर्स क्या है ?
परम पूज्य श्रीश्री रविशंकर जी की संस्था व्यक्ति विकास केन्द्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स विश्व के 157 देशों में सिखाया जाता है। करोडों लोगों ने इस कोर्स के द्वारा जीवन को स्वस्थ, सुन्दर एवं विकसित बनाया है। इस कोर्स में योगाभ्यास, प्राणायाम, ध्यान तथा ज्ञान चर्चा के साथ-साथ श्वांस की अद्भुत तकनीक सुदर्शन क्रिया सिखाई जाती है, जो हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल कर हमें तनावमुक्त तथा रोगमुक्त बनाने में सहायक होती है। अनेक मेडिकल संस्थानों तथा universities के अनुसंधानों में यह कोर्स शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर बेहद उपयोगी पाया गया है।
समय : इस कोर्स में व्यक्ति को प्रथम 5 दिन 3-3 घंटे तथा अंतिम सत्र में रविवार के दिन 6 से 8 घंटे अनिवार्य रूप से देने होते हैं। छ: दिन का कोर्स पूरा होने के पश्चात व्यक्ति स्वयं में गहरे परिवर्तन के साथ स्वयं को उत्साह एवं ऊर्जा से भरपूर पाता है तथा एक नये दृष्टिकोण के साथ जीवन की शुरूआत करता है।
सुदर्शन क्रिया: कोर्स का मुख्य अंग सुदर्शन क्रिया है, जो एक विशेष लयबद्ध श्वांस लेने की सरल परन्तु अत्यंत शक्तिशाली व अद्भुत विधि है। इससे शरीर के सारे तनाव तुरन्त ही निकल जाते हैं। सुदर्शन क्रिया शरीर को जीवन रक्षक ऊर्जा से भर देती है और व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक स्तर पर तरोताजा कर देती है। सुदर्शन क्रिया ने विश्वभर में करोडों लोगों के जीवन को बदल कर उत्साह, प्रेम व आनन्द से भर दिया है।
क्या नहीं है : यह कोर्स कोई धार्मिक कार्यक्रम या पंथ नहीं है। इस कोर्स के लिए जीवन शैली अथवा आस्था में किसी प्रकार के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। पूज्य गुरू श्रीश्री रविशंकर जी की विश्व को देन दिव्य सुदर्शन क्रिया ने विश्व के हर धर्म, पंथ जाति के लोगों के जीवन को उत्साह एवं उमंग से भर दिया है। यह कोर्स व्यक्ति को अंतरम से आनंदित करता है।
शोध रिसर्च : एम्स और निमहांस इंस्टिट्यूट ने अनेकानेक रोगों जैसे रक्तचाप, डायबिटीज, ह्दय रोग, अस्थमा, साइनस, अनिद्रा, मनौवैज्ञानिक परेशानियों आदि में इस कोर्स को अत्यंत लाभदायक बताया है। नशा छुड़ाने में भी यह कोर्स बहुत सफल रहा है।


मस्ती की पाठशाला...
जीवन जीने की कला और कोर्स शब्द से हमारे मन में जो छवि बनती है वह है एक ऐसे कार्यक्रम की बनती है जिसमें हमें कुछ उपदेश दिए जाएंगे, लंबे चौड़े अभिभाषण होंगे, बॉडी लेंग्वेज के बारे में बताया जाएगा, उठने-बैठने और बातचीत के तौर तरीके सिखाए जाएंगे। अनेक लोग इसे योग से जोड़कर भी देखते हैं। लेकिन आर्ट ऑफ लिविंग का बेसिक कोर्स इससे बिल्कुल अलग है।
अपनी बालमय मुस्कान के लिए विश्व के करोड़ों लोगों को अपना दिवाना बना चुके पूज्य गुरू श्रीश्री रविशंकर जी इस कोर्स के माध्यम से पूरे विश्व को जो बांट रहे हैं, वह है चिरमयी मुस्कान। व्यक्ति वही बांटता है जो उसके पास होता है, ऐसा कहना है श्रीश्री का। चिरमयी मुस्कान हम तभी कायम रख सकते हैं यदि हम तनावमुक्त होंगे, स्वस्थ रहेंगे और वर्तमान में रहेंगे।
श्रीश्री ने जो भी कोर्स डिजाइन किए हैं वास्तव में ऐसी पाठशालाएं हैं जो न केवल हमारे जीवन को मस्ती और आनंद से परिपूर्ण करती हैं बल्कि ज्ञान के साथ जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करती हैं। जीवन के प्रति हमारी सोच और अधिक विकसित होती है।
श्रीश्री ने हर आयुवर्ग की अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर अलग-अलग कोर्स डिजाइन किए हैं। बच्चों को जहां खेल-खेल में योग, प्राणायाम, ध्यान और सुदर्शन क्रिया सिखाई जाती है, वही बड़ों के बेसिक कोर्स में दिमाग से दिल की ऐसी यात्रा करवाई जाती है कि छठा दिन आते-आते जवां से लेकर उम्र दराज व्यक्ति तक सभी बच्चों की तरह बन जाते हैं। यही वह सुखद अहसास होता है जब व्यक्ति का स्वयं से परिचय होता है और उसकी खोई हुई मुस्कान लौट आती है। यही तो श्रीश्री का उद्देश्य है।Justify Full

मेरी कलम से...
सन् 2004 में जब आर्ट ऑफ लिविंग का बेसिक कोर्स किया तो महज एक कार्यक्रम समझकर इसमें शामिल हुआ। मेरे मित्र अनिल सांवरमल ने जब मुझे यह कोर्स करने के लिए प्रेरित किया था तो केवल इतना ही कहा था कि सिटी हॉस्पीटल में 6 दिन का एक कार्यक्रम होता है, उसे अटैंड करके देखो, बहुत अच्छा होता है। मैंने इस कोर्स को एक कार्यक्रम समझा, शायद इसीलिए बेसिक कोर्स मुझ पर खासा असर नहीं डाल पाया।
सन् 2007 के एक रविवार को खाली समय बीताने का उद्देश्य लेकर मैं एक बार पुन: सिटी हॉस्पीटल के बेसमेंट पहुंचा, जब कोर्स का अंतिम सत्र चल रहा था। इस सत्र में प्रशिक्षिका, आदरणीय दीदी शोभा बागरिचा कुछ ऐसी बातें प्रशिक्षणार्थियों को बता रही थीं, जो मन को छू गईं। पूरा कोर्स एक बार फिर करने का मन बनाया और अगले कोर्स में प्रात: 6 बजे पहुंच गया। उस समय शायद मुझे भी नहीं पता था कि आने वाला समय मेरे जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने वाला है।
अगले 6 दिनों में जब कोर्स में करवायी जाने वाली प्रक्रियाओं को अपना शत-प्रतिशत रखते हुए किया तो श्रीश्री का ज्ञान स्वयंमेव मन की गहराइयों तक उतरता गया। अंतिम दिन आते-आते महसूस किया कि श्रीश्री वास्तव में इस कोर्स के द्वारा जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण विकसित कर रहे हैं। कोर्स में ज्ञान और आनंद का भंडार मिल गया लेकिन साथ ही जिज्ञासा इतनी बढ़ गयी कि आगे के कोर्स करने के लिए मन लालायित होने लगा। ज्यों-ज्यों आगे के कोर्स किए मालूम होता गया कि जीवन का वास्तविक आनंद और खुशी हमारे अंदर ही है, जिसकी हम हमेशा तलाश करते रहते हैं लेकिन यह आनंद हम तभी ले सकते हैं यदि सदैव क्रियाशील रहें। क्रियाशीलता हमें उत्साहित रखने के साथ-साथ सदैव कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती है और हम सही अर्थों में जीवन जीने लगते हैं।
दो दर्जन से अधिक कोर्से में सेवाएं देने के बावजूद आज भी हर बार कोर्स नया लगता है। हर कोर्स में लोगों के अनुभव जानने का मौका मिलता है। लोगों के अनुभव बताते हैं कि कोर्स के 6 दिन जहां हर किसी के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाते ही हैं, वहीं अनेक लोगों को छोटी-बड़ी व्याधियों से भी छुटकारा मिला है। कोर्स के बाद स्वयं में जो सबसे बड़ा परिवर्तन पाया वह है- वर्तमान में रहनामन ने अब दूर-दराज भ्रमण करना बंद कर दिया है। (इति) - रवि अदलखा


बच्चों एवं युवाओं के कोर्स
आर्ट एक्सल कोर्स : 8 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए पूज्य श्रीश्री रविशंकर जी ने विशे रूप से यह कोर्स बनाया है, जो बच्चों के जीवन को सकारात्म आकार प्रेरणा देता है। तरह-तरह के खेलों और श्वांस लेने की क्रियाओं द्वारा बच्चों को तनावमुक्त करने तथा भय, क्रोध, अहंकार, शर्मीलेप आदि भावनाओं पर विजय पाने में यह कोर्स सहायक होता है। बच्चे विचारों का आदान-प्रदान सीखते हैं उनकी कलात्मकता एवं सृजनशीलता उभरती है तथा अभिव्यक्ति में श्रेष्ठता आती है।
यस कोर्स (यूथ एंपावरमेंट सेमीनार) : 14 से 18 वर्ष आयुवर्ग के लिए विशेष रूप से यह कोर्स डिजाइन किया गया है। यस कोर्स युवकों को पने मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखने का बल प्रदान करता है तथा उनकी ऊर्जा को सही दिशा की ग्र करता है। इस कोर्स में सिखाई जाने वाली क्रियाओं के अभ्यास से युवक एकाग्र और आत्मविश्वास से भरपूर होकर जीवन में सर्वांगीण सफलता की ओर अग्रसर होते हैं।

आर्ट ऑफ़ लिविंग के अन्य कोर्स
एडवांस कोर्स (पार्ट- 2) :
जीवन की अंतरम गहराईयों तक उतरने की इच्छा रखने वाले साधकों के लिए साढे 3 दिन का यह आवासीय शिविर आयोजित किया जाता है। इस शिविर में करवाई जाने वाली श्वांस एवं ध्यान की कुछ और शक्तिशाली क्रियाओं तथा मौन के माध्यम से व्यक्ति में प्राण ऊर्जा का स्तर असाधारण रूप से बढ़ता है। योगासन, ध्यान, मौन, आत्मचिंतन के साथ-साथ सेवा और सत्संग इस कोर्स के अंग हैं। सही अर्थों में यह कोर्स विश्राम देने वाली छुट्टियां हैं, जिसमें व्यक्ति के जीवन का शारीरिक मानसिक दोनों रूपों में रूपांतरण होता है। इस कोर्स के लिए बेसिक कोर्स किया होना अनिवार्य है।
डीएसएन (दिव्य समाज निर्माण) कोर्स :
तीन दिन का यह विशिष्ट शिविर व्यक्ति में नेतृत्व एवं निर्णय लेने की क्षमता, सबके साथ कार्य करने की युक्ति, दूसरे के विचारों को समझने एवं उनका सम्मान करने का तरीका, किसी भी परिस्थिति में पूरी सहजता शांति से कार्य करने की क्षमता-जैसे गुणों का विकास करता है। इसमें सिखाई जाने वाली पदम् साधना के नियमित अभ्यास से व्यक्तिगत ऊर्जा के स्तर में तथा कार्य कुशलता में अत्यधिक और असाधारण वृद्धि होती है। यह कोर्स व्यक्ति को ज्ञान और सेवा में सुदृढ़ कर देता है। समाज कल्याण की भावना रखने वाले व्यक्तियों के लिए यह कोर्स एक सीढ़ी का काम करता है।
सहज समाधि ध्यान शिविर :
सहज समाधि ध्यान के माध्यम से व्यक्ति सरलता से ध्यान की गहरी अवस्था में पहुंच जाता है। यह शिविर मात्र 6 घंटे (तीन दिन, दो-दो घंटे) में करवाया जाता है। सामान्यत: पार्ट-2 कोर्स के साथ ही सहज समाधि कोर्स करने का अवसर भी प्रदान करवाया जाता है।
कारपोरेट एक्जीक्यूटिव कोर्स :
निगम कम्पनियो के कर्मचारियों के लिए इस कोर्स में आधुनिक कार्य-वातावरण की चुनौतियों तनावों से निपटने के प्रभावशाली तरीके बताए जाते हैं। इस कोर्स से कर्मचारियों के बीच आत्मीयता और उनकी कार्यकुशलता बढ़ती है।
श्रीश्री योगा कोर्स :
श्रीश्री योगा कोर्स योगासन प्राणायाम का 6 दिन का विशेष प्रशिक्षण शिविर है। इस कोर्स में पूज्य श्रीश्री रविशंकर जी द्वारा लयबद्ध किए गए योगासनों को अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा सिखाया जाता है। इस कोर्स के द्वारा प्राचीन योग विद्या शुद्ध परिष्कृत रूप में आप तक पहुंचती है।
नवचेतना शिविर :
समाज में स्वास्थ्य, सौहार्द अनेकता में एकता की चेतना जगाने के लिए इस बहुपयोगी 5 दिवसीय शिविर को पिछड़े एवं ग्रामीण इलाकों में निःशुल्क करवाया जाता है। यह अत्यंत प्रभावशाली तथा उपयोगी शिविर है।
जेलों में कोर्स :
आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा जेलों में कैदियों के लिए निःशुल्क कोर्स आयोजित किए जाते हैं जिसका उद्देश्य उन्हें पुन: समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। कोर्स में करवाई जाने वाली क्रियायें उन्हें तनावमुक्त रहने, हिंसात्मक वृति को कम करने नशे से मुक्ति पाने में सहायक होती हैं।

Centers in Rajasthan

Jaipur
Someshwar Rawat 0141-2612345, 098290-12275
Jodhpur
Vinod Acharya 098290-23087
Udaipur
Dr. Paresh divedi 0294-2470090, 094147-37462
Kota
B. S. Rajawat 0744-2390092-96, 094141-79878
Satya Narayan 0294-2470090, 094147-37431
Ajmer
Dr. P. R. Narang 094142-12899
Alwar
Fakir Chand Malhotra 0144-2334236, 2701209, 094134-48469
Bikaner
Rajesh Munjal 0151-2233851, 094141-39150
Sikar
Mahendra Kumar Sharma 01570-263040, 263127, 093528-22120
Bharatpur
Parmeshwar Dayal Lohiya 094140-26143
Beawar
Dr. Narendra Anandani 098281-40177
Banswara
D. K. Changeria 02962-248030, 094141-01030
Bara
Lajpat Arora 094131-16702
Fatehpur
Dimple Sharma 098298-24241
Sawaimadhopur
Suresh Goyal 094140-30665
Nathdwara
Parveen Sanadhiya 098870-97508
Rajsamand
Lalit Paliwal 094141-72008
Kishangarh
Anand Dargarh 01463-242457, 094140-10854
Jhunjhunu
Tulsian 236608, 232447, 094140-80608
Hindon
Dr. Suresh Garg 07469-232664, 094147-28933
Hanumangarh
Smt. Kailash Kunwar 01552-254792, 094142-47622
UMA 094142-47621
Suratgarh
Sukhpal Singh 094601-01508


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